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Amritwani
‌‌‌‌‌‌‌‌अमृतवचन

☞ सुई के छेद से ॐट का निकल जाना सम्भव है धनी मनुष्यों का स्वर्ग मे पहॅुचना नही-बाइबिल
☞ धर्म तो मानव-समाज के लिए अफीम है-कार्ल मार्क्स
☞ सच्चा धर्म तो पापों की जड़ काटकर मुक्ति का मार्ग प्रदशिति करता है,पर मिथ्या धर्म में मुक्ति टकों केबल बिकती है-रस्किन
☞ धर्म का उद्देश्य है कि मनुष्य के चरित्र को अटल बल प्राप्त हो-स्वामी रामतीर्थ
☞ खाने,सोने,डरने और मैथुन के बारे में मनुष्य और पशु एक समान है केवल धर्म ही मनुष्यों में विशेष है यदि वह भी न रहा तो फिर मनुष्य सर्वदा पशु के समान ही है-हितोपदेश
☞ धैर्य पुरूष का आभूषण है-हितोपदेश
☞ कर्जदार बनने के लिए किसी पर अनुग्रह मत करो-अज्ञात
☞ ठोकर लगे और दर्द हो तभी मैं सीख पाता हॅू-महात्मा गॉधी
☞ अनुभवो से व्यक्ति ज्ञानवान बनता है-इंदिरा गॉधी
☞ अनुशासन विपत्ति की पाठशाला में सीखा जाता है-महात्मा गॉधी
☞ न्यायार्थ अपने बंधु को भी दण्ड देना धर्म है-मैथिलीशरण गुप्त
☞ ‌अन्याय करने वाले में कभी न कभी दुखी होना पड़ता है-सुकरात
☞ सम्मानित पुरूष के लिए अपकीर्ति मरण से भी बरी है-श्रीभगवद्गीता
☞ तलवार का घाव भर जाता है पर अपमान का घाव नही भरता-कहावत
☞ धूल स्वंय अपमान सहन करके बदले में पुप्पों को उपहार देती है-रबीन्द्रनाथ टैगोर
☞ अभिमान नरक का मूल है-महाभारत (आदिपर्व)
☞ ‌जिस अभिलाषा में शक्ति नहीं उसकी पूर्ति अंसभव है-अज्ञात
☞ ऐसी कोई भी वस्तु नहीं जो अभ्यास से प्राप्त न हो सकती हैं-सतं ज्ञानेश्वर
☞ हरि व्यापक सर्वत्र समान । प्रेम तें प्रगट होहि में जाना ।-तुलसी मानस (अयोघ्या काण्ड)
☞ अवतारी पुरूष देश के प्राण है वे समाज में चेतना उत्पन्न करते हैं-अज्ञात
☞ एक बार अविश्वस्त ठहराए गए का कभी विश्वास न करो-पंचतंत्र
☞ भगवान पर अविश्वास न करो यह सबसे बड़ा पाप है-हनुमान प्रसाद पोद्दार
☞ असन्तुष्ट व्यक्ति संसार में अधिक दिनो तक जीवित नहीं रहते-शेक्सपीयर
☞ जो अप्राप्य है उसके पीछे भागते हो जो प्राप्य है उसे भूलते हो इसलिए तुम सुखी नही हो-अज्ञात
☞ अपने आदर्श को पाने के लिए सैकडों बार असफल होने पर भी आगे बढ़ो-स्वामी विवेकानन्द
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