* जयसिंह द्धितीय के मृत्यु के बाद उसके सौतले भार्इ कोक्किली ने वेंगी पर अधिकार कर लिया। |
* कोक्किली का शासन काल केवल छ: महीने का रहा। |
* विष्णुवर्धन तृतीय ने 719 ई. में कोक्किली को पराजीत कर सत्ता हथिया लिया। |
* विष्णुवर्धन ने एलमेचिली को वेंगी साम्राज्य में मिला लिया। |
* विष्णुवर्धन तृतीय के बाद विजयादित्य प्रथम शासक बना। |
* विजयादित्य प्रथम के शासन काल में बादामी के चालुक्य वंश का राष्ट्रकूटो ने अतं कर दिया। |
* विजयादित्य प्रथम ने त्रिभुवनाकुंश तथा विजया सिद्धि जैसी उपाधियां धारण की। |
* विजयादित्य ने 755 ई. से लेकर 772 ई. तक शासन किया। |
* विजयादित्य प्रथम के बाद उसका पुत्र विश्णुवर्धन चतुर्थ शासक बना। |
* विष्णुवर्धन ने ध्रुव की अधीनता स्वीकार कर ली तथा अपनी बेटी शीलमदेवी का विवाह ध्रुव के साथ कर दिया। |
* विष्णुवर्धन चतुर्थ के बाद उसका पुत्र विजयादित्य द्धितीय शासक बना। |
* विजयादित्य द्धितीय शैव धर्म का मतानुयायी था। |
* विजयादित्य द्धितीय की मृत्यु के बाद उसका पुत्र कलि। |
* विश्णुवर्धन पंचम शासक बना। (847 ई से लेकर 849 तक शासन किया) |
* विजयादित्य तृतीय ने राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण द्धितीय को पराजित किया था। उसका काल वेंगी के चालुक्य साम्राज्य का चरमोत्कर्ष था। |
* विजयादित्य द्धितीय ने अपना साम्राज्य विस्तार उत्तर में महेन्द्रगीरि से लेकर दक्षिण में पुलिकट झील तक किया। |
* विजयादित्य तृतीय 849 ई से लेकर 892 ई तक शासन किया। |
* विजयादित्य तृतीय की मृत्यु के बाद भीम प्रथम शासक बना। |
* भीम प्रथम के शासन काल के प्रारंभ में ही उसके चाचा युद्धमल्ल ने विरोध किया। (892 ई. से 921 ई. तक) |
* भीम प्रथम शैव धर्म का अनुयायी था। |
* भीम प्रथम ने गोदावरी जिले में अनेक शैव मदिंरो का निर्माण कराया। |
* इस वंश अतिम शासक विजयादित्य सप्तम था। |