उत्तर पूर्व की जनजातियों ने भी सविनय अवज्ञा आन्दोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई। यहॉ पर आन्दोलन का नेतृत्व नागा महिला गौडिनेल्यू ने किया। गौडिनेल्यू का उस समय 13 वर्ष आयु थी। गौडिनेल्यू ने ब्रिटिश सेना के साथ संघर्ष किया था लेकिन वर्ष 1932 में उन्हें गरिफ्तार कर लिया गया और आजीवन कैद की सजा सुनाई गई। इन्हें इम्फाल जेल में रखा गया।यह स्वाधीनता संग्राम में सबसे अधिक समय तक जेल में रहने वाली महिला बनीं।देश स्वतन्त्र होने पर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें रानी की उपाधि से सम्मानित किया। इनको नागालैण्ड की जान ऑफ आर्क भी कहा जाता है। |
रानी गौडिनेल्यू को स्वतंत्रता संग्राम में साहसपूर्ण योगदान के लिए प्रधानमंत्री की ओर से उन्हे ताम्रपत्र और राष्ट्रपति की ओर से पद्मभूषण की मानद उपाधि देकर रानी गौडिनेल्यू को सम्मानित किया गया। |
☞ 1972 में स्वतंत्रता सेनानी ताम्रपत्र से सम्मानित किया गया। |
Bharat Ke Parmukh Aitihasik Yuddh
| Chalukya Dynasty | |
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☞ 1982 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। |
☞ 1983 में विवेकानन्द सेवा सम्मान प्रदान किया गया। |
☞ 1996 में बिरसा मुंडा पुरस्कार प्रदान किया गया। |
☞ रानी गौडिनेल्यू की स्मृति में 1996 में डाक टिकट भी जारी किया गया। |
☞ जन्म की तिथि-26-जनवरी-1915 राज्य मणिपुर |
☞ मृत्यु की तिथि:- 17-फरवरी-1993 राज्य मणिपुर |
☞ पिता का नाम:- लोथांग |
☞ माता का नाम:-करोल्टिनेलियु |