★ गौतमीपुत्र ने विन्ध्यपति तथा राजाराण की उपाधि धारण की। |
★ नासिक के अभिलेखों में उसके लिए ब्राह्मण विशेषण का प्रयोग किया गया है। |
★ गौतमीपुत्र को क्षत्रियों के दर्द और मान को दलने वाला तथा शक्ति में पशुराम के समान कहा गया। |
★ अभिलेखो मे उसके लिए वर वरण विक्रय चारू विक्रय विशेषण का प्रयोग किया गया है। |
★ गौतमीपुत्र का शासन काल 106 ई. से 130 तक माना जाता है। |
★ गौतमीपुत्र शातकर्णी ने वेंणकटक स्वामी की उपाधि धारण की थी। वेणकटक नाम के नगर की स्थापना की। |
★ राजा हाल ने लंका के शासक की पुत्री लीलावती से विवाह किया। |
★ गौतमीपुत्र शातकर्णी को त्रि-समुद्व लोभ-पिता वाहन भी कहा जाता है। |
★ शुन्यवाद के संस्थापक एवं माध्यमिक सम्प्रदाय के प्रवर्तक नागार्जुन सम्भवत: गौतमीपुत्र शातकर्णी के ही समकालीन थे। |
★ गौतमीपुत्र शातकर्णी के मृत्यु के बाद उसका पुत्र वाशिष्ठी पुत्र पुलुमावी राजा हुआ(130-154 र्इ.) इसके विषय में जानकारी अमरावती से प्राप्त लेख से मिलती है। |
★ पुलमावी अकेला सातवाहन राजा है जिसका उल्लेख अमरावती से प्रात्त एक लेख में हुआ है। |
★ पुलुमावी को दक्षिणापथेश्वर भी कहा जाता है। |
★ पुलुमावी ने एक नये नगर नवनगर की स्थापना कर नवनगर स्वामी की उपाधि धारण की। |
★ पुलुमावी ने महाराज और दक्षिणापथेश्वर का भी उपाघि घारण की थी। |
★ भूगोलवेंत्ता टॉलमी ने पुलुमावी को पोलोमैओस कह कर उल्लिखित किया। |
★ सतवाहन वंश का 27 वॉ शासक यज्ञश्री शातकर्णी (174-203 ई.) इस वंश का अतिंम प्रतापी राजा के रूप में गद्दी पर बैठा। |
★ यज्ञश्री शातकर्णी की जानकारी वायुपुराण से मिलती है। |
★ सतवाहन वंशी राजकुमारो को कुमार कहा जाता था। |
★ सरकारी आय महत्वपूर्ण साधन भूमिकर नमक कर और न्याय शुल्क कर थे। |
★ सतवाहन के प्रशासन के महत्वपूर्ण अधिकारी थे अमात्य महामात्र और भण्डारगारिक। |
★ सतवाहन के समय में तीन प्रकार के सामन्त पाए जाते थे। (1)महारथी व राजा जिसे सिक्के जारी करने का अधिकार होता था।(2) महाभोज (3) महासेनापति। |
★ सतवाहन के अधिकत्तर सिक्के सीसे के मिले है। सीसे के अतिरिक्त पीटीन तॉबे और कॉसे की मुद्राओ के निर्माण का साक्ष्य मिले है। |
★ ब्रहृाण को सबसे पहले भूमिदान एवं जागीर देने की प्रथा का शुरूआत सातवाहनों ने ही किया। |
★ सतवाहनों ने अनेक चैत्य और बिहार निर्माण करवाए। |
★ सतवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत थी। लिपि के रूप में ये ब्राह्मी लिपि का प्रयोग करते थे। |
★ पुराणों के अनुसार सातवाहनों ने कुल 300 वर्ष तक शासन किया। |
★ गौतमीपुत्र शातकर्णी को पश्चिम का स्वामी के नाम से प्रसिद्ध था। |
★ सातवाहन वंश का महान् कवि एवं साहित्यकार हाल और गुणादय थे। |
★ बृहत कथा नामक पुस्तक की रचना गुणाद्य ने की थी। |
★काले का चैत्य,अंजता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण और अमरावती कला का विकास सातवाहन काल की प्रमुख देन है। |