Satavahana Vansh,‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌सातवाहन वंश,GK Questions Answer, General Knowledge-atmword.com

‌Satavahana Vansh
‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌सातवाहन वंश

★  सातवाहन वंश की स्थापना सिमुक ने 30 ई.पू. मे कण्ववशी शासक सुषर्मा की हत्या करके की थी।
★  ऐतरेय ब्राह्मण में सबसे पहले इस जाति का उल्लेख पाया गया है।
★  पुराणों में इस राजवंश को आन्ध्रयृत्य कहा गया हैं।
★  अधिकाशं इतिहासकारो का मत है कि सातवाहन मूलत: महाराष्ट्र के निवासी थे।
★  सिमुक का छोटा भाई कृष्ण (शासक) हुआ।
★  पुराणो के अनुसार कृष्ण ने 18 वर्ष तक शासन किया।
★  कृष्ण का बेटा एवं उत्तराधिकारी शातकर्णी प्रथम शासक बना।
★  शातकर्णी प्रथम शासक था जिसने सम्राट की उपाधि धारण किया इस वर्ष का।
★  नानाघाट अभिलेख में उसे अप्रतिहत चक्र दक्षिणापथपति कहा गया है।
★  शातकर्णी नें दो बार अश्वमेघ यज्ञ भी किया था।
★  शातकर्णी के दोनो पुत्र शक्तिश्री एवं वेदश्री अल्पवयस्क थे उनकी मॉ नागनिका उनका सरंक्षक बनी।
★  शातकर्णी ने लगभग 56 वर्ष तक शासन किया।
★  गौतमीपुत्र शातकर्णी इस वर्ष का महानतम राजा था। और सातवाहन वर्ष का पुनरूद्धारक भी जाता है।
★  मत्सय पुराण के अनुसार यह सतवाहन वर्ष का 17 वॉ राजा था।
★  हाल ने गाथासप्तशती नामक गंथ्र की रचना की यह प्राकृत भाषा का ग्रथ है।
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★  गौतमीपुत्र ने विन्ध्यपति तथा राजाराण की उपाधि धारण की।
★  नासिक के अभिलेखों में उसके लिए ब्राह्मण विशेषण का प्रयोग किया गया है।
★  गौतमीपुत्र को क्षत्रियों के दर्द और मान को दलने वाला तथा शक्ति में पशुराम के समान कहा गया।
★  अभिलेखो मे उसके लिए वर वरण विक्रय चारू विक्रय विशेषण का प्रयोग किया गया है।
★  गौतमीपुत्र का शासन काल 106 ई. से 130 तक माना जाता है।
★  गौतमीपुत्र शातकर्णी ने वेंणकटक स्वामी की उपाधि धारण की थी। वेणकटक नाम के नगर की स्थापना की।
★  राजा हाल ने लंका के शासक की पुत्री लीलावती से विवाह किया।
★  गौतमीपुत्र शातकर्णी को त्रि-समुद्व लोभ-पिता वाहन भी कहा जाता है।
★  शुन्यवाद के संस्थापक एवं माध्यमिक सम्प्रदाय के प्रवर्तक नागार्जुन सम्भवत: गौतमीपुत्र शातकर्णी के ही समकालीन थे।
★  गौतमीपुत्र शातकर्णी के मृत्यु के बाद उसका पुत्र वाशिष्ठी पुत्र पुलुमावी राजा हुआ(130-154 र्इ.) इसके विषय में जानकारी अमरावती से प्राप्त लेख से मिलती है।
★  पुलमावी अकेला सातवाहन राजा है जिसका उल्लेख अमरावती से प्रात्त एक लेख में हुआ है।
★  पुलुमावी को दक्षिणापथेश्वर भी कहा जाता है।
★  पुलुमावी ने एक नये नगर नवनगर की स्थापना कर नवनगर स्वामी की उपाधि धारण की।
★  पुलुमावी ने महाराज और दक्षिणापथेश्वर का भी उपाघि घारण की थी।
★  भूगोलवेंत्ता टॉलमी ने पुलुमावी को पोलोमैओस कह कर उल्लिखित किया।
★  सतवाहन वंश का 27 वॉ शासक यज्ञश्री शातकर्णी (174-203 ई.) इस वंश का अतिंम प्रतापी राजा के रूप में गद्दी पर बैठा।
★  यज्ञश्री शातकर्णी की जानकारी वायुपुराण से मिलती है।
★  सतवाहन वंशी राजकुमारो को कुमार कहा जाता था।
★  सरकारी आय महत्वपूर्ण साधन भूमिकर नमक कर और न्याय शुल्क कर थे।
★  सतवाहन के प्रशासन के महत्वपूर्ण अधिकारी थे अमात्य महामात्र और भण्डारगारिक।
★  सतवाहन के समय में तीन प्रकार के सामन्त पाए जाते थे। (1)महारथी व राजा जिसे सिक्के जारी करने का अधिकार होता था।(2) महाभोज (3) महासेनापति।
★  सतवाहन के अधिकत्तर सिक्के सीसे के मिले है। सीसे के अतिरिक्त पीटीन तॉबे और कॉसे की मुद्राओ के निर्माण का साक्ष्य मिले है।
★  ब्रहृाण को सबसे पहले भूमिदान एवं जागीर देने की प्रथा का शुरूआत सातवाहनों ने ही किया।
★  सतवाहनों ने अनेक चैत्य और बिहार निर्माण करवाए।
★  सतवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत थी। लिपि के रूप में ये ब्राह्मी लिपि का प्रयोग करते थे।
★  पुराणों के अनुसार सातवाहनों ने कुल 300 वर्ष तक शासन किया।
★  गौतमीपुत्र शातकर्णी को पश्चिम का स्वामी के नाम से प्रसिद्ध था।
★  सातवाहन वंश का महान् कवि एवं साहित्यकार हाल और गुणादय थे।
★  बृहत कथा नामक पुस्तक की रचना गुणाद्य ने की थी।
★काले का चैत्य,अंजता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण और अमरावती कला का विकास सातवाहन काल की प्रमुख देन है।

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